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Birth Chart या कुंडली या जन्मकुंडली - वैदिक ज्योतिष में जन्म कुंडली पढ़ना
Birth Chart या कुंडली या जन्मकुंडली - वैदिक ज्योतिष में जन्म कुंडली पढ़ना और जन्म कुंडली विश्लेषण करना साथ ही कुंडली की व्याख्या के मूल सिद्धांत, वैदिक जन्म कुंडली व्यक्ति के जन्म के समय के आकाश का विस्तृत मानचित्र (map) है। इसमें बारह घर, बारह राशियाँ, नौ ग्रह और अनगिनत अन्य ज्योतिषीय तत्व शामिल हैं।
BIRTH CHART
Prashant Srivastava
3/16/20251 min read


Birth Chart या कुंडली या जन्मकुंडली - वैदिक ज्योतिष में जन्म कुंडली पढ़ना और जन्म कुंडली विश्लेषण करना साथ ही कुंडली की व्याख्या के मूल सिद्धांत
वैदिक ज्योतिष और कुंडली ( Vedic Birth Chart )
वैदिक ज्योतिष, जिसे ज्योतिष शास्त्र के रूप में भी जाना जाता है, भारत में उत्पन्न ज्योतिष की एक प्राचीन प्रणाली है। यह वैदिक परंपराओं में गहराई से निहित है और हजारों वर्षों से इसका अभ्यास किया जाता रहा है। पश्चिमी ज्योतिष के विपरीत, जो उष्णकटिबंधीय राशि चक्र पर आधारित है, वैदिक ज्योतिष आकाशीय पिंडों की वास्तविक स्थिति के साथ संरेखित करते हुए, नक्षत्र राशि चक्र आदि का उपयोग करता है। यह प्रणाली किसी व्यक्ति के जीवन, उसके व्यक्तित्व, ताकत, चुनौतियों, करियर, रिश्तों और आध्यात्मिक यात्रा सहित जीवन के सभी क्षेत्रो पर एक गहन अंतर्दृष्टि प्रदान करती है।
वैदिक ज्योतिष के मूलभूत पहलुओं में से एक जन्म कुंडली (Birth chart) है, जिसे कुंडली भी कहा जाता है। यह चार्ट किसी व्यक्ति के जीवन के ब्रह्मांडीय खाका के रूप में कार्य करता है, जो उनके भाग्य के महत्वपूर्ण पहलुओं को प्रकट करता है। इस लेख में, हम वैदिक ज्योतिष पढ़ने, जन्म कुंडली विश्लेषण, कुंडली व्याख्या और वैदिक ज्योतिष जन्म कुंडली को विस्तार से पढ़ने के तरीकों का सूक्ष्म अध्यन करेंगे ।
वैदिक जन्म कुंडली को समझना
वैदिक जन्म कुंडली व्यक्ति के जन्म के समय के काश का विस्तृत मानचित्र (map) है। इसमें बारह घर, बारह राशियाँ, नौ ग्रह और अनगिनत अन्य ज्योतिषीय तत्व शामिल हैं।
वैदिक जन्म कुंडली के मुख्य घटक:
बारह घर (भाव): प्रत्येक घर व्यक्तित्व, धन, संचार, घर, रचनात्मकता, काम, रिश्ते, स्वास्थ्य, भाग्य, करियर, लाभ और हानि जैसे जीवन के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करता है।
बारह राशियाँ (राशियाँ): ये विभिन्न व्यक्तित्व लक्षणों का प्रतिनिधित्व करती हैं और यह नियंत्रित करती हैं कि किसी व्यक्ति के जीवन में ग्रहों की ऊर्जा कैसे प्रकट होती है।
नौ ग्रह (ग्रह): सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करते हैं।
नक्षत्र (चंद्रमा): 27 नक्षत्र जो की ज्योतिष का मूल होते है, व्यक्ति के व्यक्तित्व और भाग्य के बारे में गहन जानकारी प्रदान करते हैं।
दशा प्रणाली (ग्रह काल): किसी व्यक्ति के जीवन में विभिन्न अवधियों में ग्रहों के प्रभाव को निर्धारण करने के लिए विभिन्न दशाये जिम्मेदार होती है।
वैदिक ज्योतिष जन्म कुंडली कैसे पढ़ें
चरण 1: नक्षत्रो का अध्यन करना
जन्म कुंडली नक्षत्रो से ही प्रारम्भ होती है अतः 27 नक्षत्रो का अध्यन सबसे महत्वपूर्ण होता है।
चरण 2: लग्न की पहचान करना
जन्म कुंडली में नक्षत्र के बाद लग्न सबसे महत्वपूर्ण बिंदु होता है। यह व्यक्ति के शारीरिक शरीर, स्वभाव और दुनिया के साथ उसके व्यवहार को दर्शाता है। जन्म के समय प्रथम भाव में स्थित राशि लग्न को निर्धारित करती है।
चरण 3: ग्रहों की स्थिति को समझना
किसी विशिष्ट भाव और राशि में प्रत्येक ग्रह की स्थिति जीवन के विभिन्न क्षेत्रों पर उस ग्रह के प्रभाव को निर्धारित करती है। उदाहरण के लिए:
दसवें भाव में सूर्य: एक मजबूत करियर और नेतृत्व गुण।
चौथे भाव में चंद्रमा: भावनात्मक स्थिरता और घर और माँ के साथ एक मजबूत संबंध।
सातवें भाव में बृहस्पति: विवाह और साझेदारी पर सकारात्मक प्रभाव।
चरण 4: बारह भावों का विश्लेषण
कुंडली के प्रत्येक भाव जीवन के विभिन्न पहलुओं को नियंत्रित करते है जैसे:
पहला भाव: स्वयं, व्यक्तित्व, शारीरिक बनावट आदि ।
दूसरा भाव: धन, वाणी, परिवार आदि।
तीसरा भाव: भाई-बहन, संचार, साहस आदि।
चौथा भाव: घर, माँ, सुख-सुविधाएँ आदि।
पाँचवाँ भाव: रचनात्मकता, शिक्षा, बच्चे आदि।
छठा भाव: शत्रु, स्वास्थ्य, ऋण आदि।
सातवाँ भाव: विवाह, रिश्ते, साझेदारी आदि।
आठवाँ भाव: रहस्य, परिवर्तन, दीर्घायु आदि।
नौवाँ भाव: भाग्य, धर्म, उच्च शिक्षा आदि।
दसवाँ भाव: करियर, प्रतिष्ठा, सार्वजनिक जीवन आदि।
ग्यारहवाँ भाव: लाभ, सामाजिक दायरा, इच्छाएँ आदि।
बारहवाँ भाव: हानि, आध्यात्मिकता, विदेश यात्रा आदि।
चरण 5: ग्रहों के पहलुओं और संयोजनों का मूल्यांकन और परिणाम
ग्रह पहलुओं और संयोजनों के माध्यम से एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं, जो उनके प्रभावों को संशोधित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए:
सातवें भाव पर मंगल की दृष्टि रिश्तों में आक्रामकता का संकेत दे सकती है।
शुक्र और चंद्रमा एक साथ कलात्मक प्रतिभा और मजबूत भावनाओं का संकेत दे सकते हैं।
वैदिक ज्योतिष कुंडली विश्लेषण
वैदिक ज्योतिष में कुंडली विश्लेषण में ग्रहों के पारगमन, दशा अवधि और जन्म कुंडली में ग्रहों की समग्र स्थिति का अध्ययन शामिल है।
ग्रहों का पारगमन (गोचर)
ग्रह आकाश में लगातार विभिन्न राशियों से गुजरते जिससे वे हमारी कुंडली में भी विभिन्न घरों से गुजरते हैं, इसे ग्रहो का गोचर कहते है। जो जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करते हैं। बृहस्पति, शनि और राहु-केतु जैसे प्रमुख ग्रहों का पारगमन जीवन में बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। क्युकी इन ग्रहो का पारगमन या गोचर लम्बी अवधी का होता है। जबकि चन्द्रमा का न्यूनतम अवधी का।
दशा प्रणाली (ग्रह अवधि)
विंशोत्तरी दशा प्रणाली जीवन में घटनाओं के समय का पता लगाने के लिए सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली विधि है। यह प्रत्येक ग्रह को अलग-अलग समय अवधि प्रदान करता है, जो किसी निश्चित समय पर शासक ग्रह के आधार पर जीवन के अनुभवों को प्रभावित करता है।इसके अतिरिक्त भी अन्य कई दशाएं भी होती है जो समय समय पर प्रभाव डालती है।
योग और दोष
योग: विभिन्न ग्रहो के योग और लाभकारी संयोजन जो सफलता, धन और समृद्धि लाते हैं (जैसे, गज केसरी योग, राज योग) योग कहते है ।
दोष: योग के उलट ग्रहो के हानिकारक संयोजन जो चुनौतियाँ पैदा करते हैं उन्हें दोष कहते है।
वैदिक ज्योतिष के व्यावहारिक अनुप्रयोग
वैदिक ज्योतिष जीवन के विभिन्न पहलुओं में मदद करता है, जिसमें शामिल हैं:
करियर मार्गदर्शन: ग्रहों की स्थिति के आधार पर उपयुक्त व्यवसायों की पहचान करना।
विवाह और रिश्ते: कुंडली मिलान का उपयोग करके अनुकूलता को समझना।
स्वास्थ्य भविष्यवाणियाँ: संभावित स्वास्थ्य समस्याओं और उपचारों की पहचान करना।
वित्तीय स्थिरता: धन की संभावना और निवेश के अवसरों का विश्लेषण करना।
आध्यात्मिक विकास: पिछले कर्म और आत्मा को समझना।
वैदिक ज्योतिष में उपाय
नकारात्मक ग्रहों के प्रभाव को कम करने के लिए, वैदिक ज्योतिष विभिन्न उपायों का सुझाव देता है जैसे:
मंत्र: ग्रहों के मंत्रों का जाप करना (जैसे, शनि से संबंधित समस्याओं के लिए ओम नमः शिवाय)।
रत्न: ग्रहों से अनुकूल परिणाम प्राप्त करने के लिए विशिष्ट रत्न पहनना।
यंत्र: सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने के लिए पवित्र ज्यामितीय पैटर्न।
पूजा और होम: ग्रह या उनसे जुड़े देवताओं को प्रसन्न करने के लिए अनुष्ठान।
दान: ग्रहों की ऊर्जा को संतुलित करने के लिए विशिष्ट वस्तुओं का दान करना।
वैदिक ज्योतिष एक गहन और प्राचीन ही नहीं संसार का पहला विज्ञान है जो किसी व्यक्ति के जीवन में गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। वैदिक जन्म कुंडली को पढ़ने, ग्रहों की स्थिति का विश्लेषण करने और कुंडली की व्याख्या करने के तरीके को समझकर, व्यक्ति अपने जीवन में स्पष्टता और दिशा प्राप्त कर सकता है। चाहे वह करियर, रिश्ते, स्वास्थ्य या आध्यात्मिकता हो, वैदिक ज्योतिष संतुलित और पूर्ण जीवन जीने के लिए संसार का एकमात्र साधन है जो की मूल्यवान मार्गदर्शन और उपाय प्रदान करता है।
वैदिक ज्योतिष पढ़ने में महारत हासिल करके, व्यक्ति अपने भाग्य के रहस्यों को खोल सकता है और बेहतर भविष्य को आकार देने के लिए निर्णय ले सकता है। यदि आप अधिक जानने में रुचि रखते हैं, तो कृपया प्रशांत श्रीवास्तव से परामर्श लें।
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